RBI FY24 Policy News In Hindi
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने FY24 के लिए अपनी तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति में रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा, जिसे 10 अगस्त, 2023 को घोषित किया गया था। RBI ने आवास वापसी के रुख को भी बनाए रखा।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का निर्णय बढ़ती मुद्रास्फीति और विकास की गतिशीलता को देखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहा कि जून 2023 के लिए मुद्रास्फीति प्रिंट उम्मीद से अधिक था, लेकिन यह अभी भी आरबीआई के सहनशीलता बैंड के भीतर था। उन्होंने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था में विकास की गति मजबूत बनी हुई है, लेकिन परिदृश्य को लेकर कुछ जोखिम भी हैं।
आरबीआई ने विकास को समर्थन देने के लिए कुछ उपायों की घोषणा की, जिसमें बैंकों के लिए वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में 50 आधार अंकों की कटौती करके 20.5% करना शामिल है। आरबीआई ने यह भी कहा कि वह विभिन्न उपायों के माध्यम से बाजार में तरलता प्रदान करना जारी रखेगा।
रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का निर्णय काफी हद तक बाजार की उम्मीदों के अनुरूप था। हालाँकि, कुछ विश्लेषकों को उम्मीद थी कि आरबीआई रेपो रेट में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी करेगा। रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने के फैसले से कर्जदारों को कुछ राहत मिलने की संभावना है, लेकिन इससे आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी हो सकती है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति घोषणा की कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:
- रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा गया।
- आवास वापसी का रुख बरकरार रखा गया।
- FY24 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान पहले के 5.1% से बढ़ाकर 5.4% कर दिया गया था।
- FY24 के लिए ग्रोथ अनुमान 7.2% पर बरकरार रखा गया.
- एसएलआर को 50 आधार अंक घटाकर 20.5% कर दिया गया।
- आरबीआई विभिन्न उपायों के माध्यम से बाजार को तरलता प्रदान करना जारी रखेगा।
- आरबीआई की मौद्रिक नीति घोषणा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है।
- इसका असर आने वाले महीनों में ब्याज दरों, मुद्रास्फीति और विकास पर पड़ेगा।
FY24 क्या है?
FY24 का अर्थ वित्तीय वर्ष 2024 है. यह वह समय अवधि है जो 1 अप्रैल, 2024 को शुरू होती है और 31 मार्च, 2025 को समाप्त होती है. भारत में, वित्तीय वर्ष आमतौर पर 1 अप्रैल से शुरू होता है और 31 मार्च को समाप्त होता है.
FY24 से सम्बंधित FAQs टॉप 10?
ज़रूर. यहां FY24 से संबंधित कुछ सामान्य प्रश्न हैं:
- वित्तीय वर्ष 2024 कब शुरू होगा?
वित्तीय वर्ष 2024 1 अप्रैल, 2024 को शुरू होगा और 31 मार्च, 2025 को समाप्त होगा.
- वित्तीय वर्ष 2024 के लिए बजट क्या है?
भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024 के लिए ₹39.45 लाख करोड़ का बजट पेश किया है. यह पिछले वर्ष के बजट से 10.6% अधिक है.
- वित्तीय वर्ष 2024 के लिए प्रमुख आर्थिक लक्ष्य क्या हैं?
वित्तीय वर्ष 2024 के लिए प्रमुख आर्थिक लक्ष्य हैं:
- 7.5% की जीडीपी वृद्धि
- 4% की बेरोजगारी दर
- 2% की मुद्रास्फीति दर
- वित्तीय वर्ष 2024 के लिए प्रमुख कर सुधार क्या हैं?
वित्तीय वर्ष 2024 के लिए प्रमुख कर सुधार हैं:
- टैक्स छूट की सीमा बढ़ाना
- कर दरों को कम करना
- नई कर योजनाएं शुरू करना
- वित्तीय वर्ष 2024 के लिए प्रमुख व्यय योजनाएं क्या हैं?
वित्तीय वर्ष 2024 के लिए प्रमुख व्यय योजनाएं हैं:
- बुनियादी ढांचे में निवेश करना
- शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करना
- कृषि और ग्रामीण विकास पर खर्च करना
- वित्तीय वर्ष 2024 के लिए प्रमुख चुनौतियां क्या हैं?
वित्तीय वर्ष 2024 के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं:
- कोविड-19 महामारी
- वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी
- ऊर्जा की बढ़ती कीमतें
- वित्तीय वर्ष 2024 के लिए सरकार की योजना क्या है?
वित्तीय वर्ष 2024 के लिए सरकार की योजना है कि वह इन चुनौतियों का सामना करने के लिए कदम उठाएगी. सरकार बुनियादी ढांचे में निवेश करेगी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करेगी, कृषि और ग्रामीण विकास पर खर्च करेगी और कोविड-19 महामारी से निपटेगी.
- वित्तीय वर्ष 2024 के लिए अर्थव्यवस्था की संभावनाएं क्या हैं?
वित्तीय वर्ष 2024 के लिए अर्थव्यवस्था की संभावनाएं अनुकूल हैं. सरकार के कदमों से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और जीडीपी वृद्धि दर बढ़ेगी. बेरोजगारी दर कम होगी और मुद्रास्फीति दर नियंत्रित रहेगी.
- वित्तीय वर्ष 2024 के लिए निवेश की संभावनाएं क्या हैं?
वित्तीय वर्ष 2024 के लिए निवेश की संभावनाएं अच्छी हैं. सरकार के कदमों से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलेगा. निवेशकों को बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए.
- वित्तीय वर्ष 2024 के लिए करदाताओं के लिए क्या सलाह है?
वित्तीय वर्ष 2024 के लिए करदाताओं को चाहिए कि वे अपना टैक्स रिटर्न समय पर भरें और सभी कर छूट का लाभ उठाएं. करदाताओं को चाहिए कि वे नए कर सुधारों के बारे में जानकारी रखें और उनका पालन करें.